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ग्रामीण क्षेत्र के 36 लाख से अधिक परिवारों तक पहुँचा नल से जल-बृजेन्द्र सिंह यादव

भोपाल : मंगलवार, मार्च 23, 2021, 13:01 IST

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश की समूची ग्रामीण आबादी को शुद्ध पेयजल उनके घर पर ही नल कनेक्शन के जरिये दिये जाने की व्यवस्था की जायेगी। इसके बाद भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय जल जीवन मिशन” की गाइड-लाइन जारी की। मिशन के मुताबिक गाँव के हर परिवार को नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जायेगी। इस पर होने वाला व्यय केन्द्र तथा राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी।

इस मिशन के जरिये मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल में भी हर परिवार को घर में ही नल कनेक्शन से पानी उपलब्ध करवाये जाने से माताओं-बहनों को पानी के लिये नदी, तालाब, कुआँ अथवा बावड़ी तक जाने से निजात मिल जायेगी। राज्य सरकार के ग्रामीण आबादी को नल से जल मुहैया करवाने के कारगर प्रयासों से अब किसी को ‘नीर के लिये पीर” नहीं सहना होगी। जल प्रत्येक जीव के जीवन की पहली जरूरत है। राज्य सरकार भी इसे अपनी प्राथमिकता में रखते हुए इसकी शीघ्र उपलब्धता और बेहतर प्रबंधन को निरंतरता दे रही है।

प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की करीब सवा 5 करोड़ ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन के जरिये गुणवत्तापूर्ण जल उपलब्ध करवाने के लिये ‘जल जीवन मिशन” के अंतर्गत कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। प्रदेश में जल जीवन मिशन से ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को गति मिली है और ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन। मिशन के जरिये अब तक 36 लाख 24 हजार 896 नल कनेक्शन दिये गये हैं।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी स्कूलों/आँगनवाड़ियों में नल कनेक्शन से पेयजल प्रदान करने के अभियान में भी प्रदेश में तेजी से काम किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में अब तक करीब 16 हजार शालाओं तथा करीब 9 हजार आँगनवाड़ियों में नल से जल सुलभ कराया जा चुका है। शेष स्कूल और आँगनवाड़ियों में नल से जल पहुँचाने का कार्य निरंतर जारी है। जल जीवन मिशन में जल-संरचनाओं के निर्माण और संधारण के कार्य लगभग हर जिले में जारी हैं। ग्रामीण जनसंख्या के आधार पर प्राप्त प्रस्तावों पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल-प्रदाय योजनाओं की स्वीकृति दिये जाने का सिलसिला बना हुआ है।

2 हजार से अधिक ग्रामों में नल से जल

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और जल निगम प्रदेश के सभी ग्रामीण अंचल के हर परिवार तक नल कनेक्शन से जल पहुँचाने के लिये लगातार कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण आबादी को गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध करवाने के लिये 15 हजार 370 करोड़ रूपये की लागत की जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। इनमें 10 हजार 68 सिंगल विलेज, 11 समूह और 39 समूह की अत: ग्राम अधोसंरचना शामिल हैं। पिछले एक साल में प्रदेश के दो हजार से अधिक ग्रामों के सौ फीसदी घरों में नल कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।

जल गुणवत्ता एवं आपूर्ति प्रंबधन के कई कार्यो में देश में अव्वल

एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त करने के मामले में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। ग्रामीणों को पेयजल गुणवत्ता उपलब्ध करवाए जाने के लिए इस वर्ष में 7 प्रयोगशालाओं का एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त किया जा चुका है अब प्रदेश में 9 जल प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ एनएबीएल प्रमाणीकृत हैं। विभाग द्वारा अन्य प्रयोगशालाओं के प्रमाणीकरण की भी प्रक्रिया जारी है।

मध्यप्रदेश राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में 25 लाख से अधिक एफएचटीसी के लक्ष्य वाले 6 राज्यों (बिहार, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आन्ध्रप्रदेश, और मध्यप्रदेश) में भारत सरकार से अनुदान की तीसरी किस्त प्राप्त करने वाला पहला राज्य है। इसी तरह मध्यप्रदेश ने भौतिक उपलब्धि और वित्तीय व्यय प्रतिशत के आधार पर देश के इन 6 बड़े राज्यों में दूसरा स्थान बनाया है।

हर स्तर पर समितियाँ गठित

प्रदेश में जल जीवन मिशन के संचालन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन और कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला जल एवं स्वच्छता मिशन का गठन किया गया है। साथ ही ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन भी किया जायेगा। योजना में निर्माण लागत की 10 प्रतिशत जन-भागीदारी होगी। ग्राम से जन-भागीदारी श्रम, सामग्री अथवा नगद राशि के रूप में ली जा सकेगी। अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल ग्रामों में जन-भागीदारी 5 प्रतिशत होगी।

मिशन मार्गदर्शिका के घटकों के अनुरूप कार्य-संचालन

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की मार्गदर्शिका के अनुसार प्रदेश में मिशन के बेहतर संचालन के लिए प्रमुख रूप से चार घटकों को शामिल कर उनके अनुरूप कार्यवाही की जा रही है। 1. कार्य प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के अन्तर्गत दो टीमें गठित की जाती हैं। एक टीम तकनीकी सहायता देगी, वहीं दूसरी टीम प्रबंधन समर्थन के लिए मैकेनिज्म पर काम करेगी। जिला स्‍तर पर मिशन की सहायता के लिए जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई बनाई गई है। 2. कार्यान्वयन सहायता एजेन्सी (आईएसए) चयनित ग्रामीण क्षेत्र में जलप्रदाय योजनाओं से प्रभावित समुदाय को सुविधा प्रदान करने, जन-सहयोग की सहमति लेने, बुनियादी ढाँचे के प्रबंधन के लिए गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को मार्गदर्शन देने का कार्य करेगी। प्रत्येक जिले की अपनी कार्यान्वयन सहायता एजेन्सी होगी। 3. तृतीय पक्ष मूल्यांकन संस्थाएँ (टीपीआई) निरीक्षण के बाद यह तय करेंगी कि निर्माण संस्था द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार कितना कार्य कर लिया है और किए गए कार्य के विरूद्ध संस्था को कितने भुगतान की पात्रता बनती है। तृतीय पक्ष मूल्यांकन संस्थाएँ जिले-वार कार्य करेंगी। 4. कौशल विकास प्रशिक्षण के अन्तर्गत ग्रामीण आबादी में स्थापित जल व्यवस्था का संचालन, संरक्षण और संधारण बेहतर हो सके, इसकी भी व्यवस्था की गई है।

जलप्रदाय योजनाओं में भविष्य में आने वाली रूकाबट अथवा खराबी को स्थानीय स्तर पर दूर किया जा सके इसके लिए कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत स्थानीय युवाओं को समुचित प्रशिक्षण दिया जायेगा। जलप्रदाय योजना क्षेत्र के रहवासी करीब 50 हजार युवाओं को उनकी रूचि के अनुसार मैशन, पिलम्बर, इलेक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक तथा पम्प आपरेटर के कार्यो का प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जायेगा। इससे जलप्रदाय योजनाओं को लेकर भविष्य में आई किसी भी कठिनाई को स्थानीय स्तर पर दूर किया जा सकेगा और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

(लेखक मध्यप्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री हैं)

साभार : जनसम्पर्क विभाग भोपाल,मध्यप्रदेश

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