ग्रामीण भारत की आर्थिक आजादी और खुशहाली की गारंटी देने वाली प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना • कमल पट

भोपाल समाचार (MPIB) : यह महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों का भारत है] जो लंबे समय तक कांग्रेस सरकारों कि अदूरदर्शिता और खराब नीतियों से बुरी तरह प्रभावित रहा है। लेकिन अंतत: इस देश ने कांग्रेस को नकार कर और भारतीय जनता पार्टी पर गहरा भरोसा दिखाते हुए राजनीतिक बदलावों से उन नाकामियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की ठान ली है। आज़ादी के बाद आठवें दशक में अब यह देश मोदी युग में प्रवेश कर चुका है।  उनके नेतृत्व में भारत अब   विकास,खुशहाली, जन-कल्याण की नई ऊँचाइयों और ग्राम स्वराज को मजबूत करने की दिशा में नित नए कीर्तिमान स्थापित करता हुआ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

दरअसल भारत में लोक-कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए लोकप्रिय प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत का एक साल बीत चुका है। यह योजना  स्वतंत्र भारत और ग्रामीण भारत की आर्थिक आजादी का प्रतीक होकर ग्रामीण भारत को मजबूत और खुशहाल करने वाली सबसे बड़ी योजना है। इस योजना से महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को जमीनी स्तर पर लागू करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने साकार कर दिया है। दिनांक 24 अप्रैल को देश में राष्ट्रीय पंचायत दिवस मनाया जाता है और  बीते साल इसी दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस महती योजना का सूत्रपात कर ग्रामीण भारत के विकास की अनंत संभावनाओं के द्वार खोल दिए थे।  इसके साथ ही देश की करोड़ों ग्रामीण जनता को आर्थिक आज़ादी मिलने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ, जो पूर्व की कांग्रेस सरकारें नहीं कर सकी थीं।

ग्रामीण भारत की सुख, शांति, संपन्नता और सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बनाई इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर मध्यप्रदेश में भी व्यापक उत्साह रहा है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के अस्तित्व में आते ही प्रदेश की भाजपा सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाये हैं। मध्यप्रदेश की ग्रामीण जनता में इसके प्रभाव और उज्जवल परिणाम सभी के साथ साझा करते हुए बेहद प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।  प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के साथ इस एक साल में मध्यप्रदेश का हरदा जिला एक मिसाल बन गया है, जिसने स्वामित्व योजना के अनुसार सम्पूर्ण दस्तावेज  शत प्रतिशत तैयार कर लिए है। इसके साथ ही इसका त्वरित लाभ जिले के 402 राजस्व ग्रामो की सम्पूर्ण आबादी को मिल सके, इसलिए इन दस्तावेजों के वितरण की भी तैयारी कर ली है।

मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के सम्पूर्ण देश में पहले लाभार्थी, हरदा जिले के रामभरोसे विश्वकर्मा बने हैं। जिले के एक छोटे से गाँव अबगाँवकला के रामभरोसे विश्वकर्मा की जमीन, घर, कुआं और पेड़ सभी यहाँ से गुज़र रहे हाइवे के कारण अधिग्रहित कर लिए गए थे। हरदा जिले का ग्राम मसनगाँव पहला गाँव है, जहाँ 2 अक्टूबर 2008 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत मुख्यमंत्री आवास योजना अधिकार पुस्तिका प्रदान कर सबसे पहले हितग्राहियों को लाभान्वित किया था। पिछले सात दशकों से देश की बड़ी आबादी यह दर्द भोगती रही है, जिसके अनुसार ग्रामीण आबादी कहलाने वाली जमीन पर किसी का भी मालिकाना हक नही होता। यही कारण था की रामभरोसे विश्वकर्मा को मुआवजा नही दिया गया था और उनका जीवन दुख और परेशानियों से भर गया था। लेकिन प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का लागू होना रामभरोसे के लिए संजीवनी बन गया। उन्हें अपनी जमीन, कुएँ, पेड़ आदि के मुआवजे के बतौर 21 लाख 14 हज़ार रुपए दिये गए और इस प्रकार वे देश में इस योजना के पहले लाभार्थी भी बने।  निश्चित ही देश और मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव और सफलता के पल है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ग्रामीण विकास एवं  कृषि मंत्री  नरेन्द्र तोमर का ह्रदय से आभारी हूँ, जिनकी दूरगामी सोच जन-कल्याण के लिए बेहद शानदार परिणाम दे रही है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और भू-राजस्व मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस योजना के लागू होने से लेकर जो सतत दिलचस्पी दिखाई है, वह बेहद उत्साहवर्धक रही है। इसीलिए इस लक्ष्य को तेजी से पूरा किया जा सका है और ग्रामीण जनता इससे लाभान्वित हो रही है।

यह देखा गया है कि ग्राम पंचायतें न केवल प्रशासन की दृष्टि से  बल्कि देश की अर्थ-व्यवस्था की दृष्टि से भी  मुख्य आधार रही है। ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था का सीधा सम्बन्ध कृषि व्यवस्थाओं  से होता है। भारतीय कृषि व्यवस्था और भारतीय किसान व्यवस्थागत कमियों से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं। इस सरकार की प्राथमिकताओं में गाँव, गरीब और ग्राम स्वराज है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से निश्चित ही भारत के ग्रामीण समाज को विकास और प्रगति से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से ग्राम पंचायतें डिजिटल होकर संचार के आधुनिकतम संसाधनों से लैस होगी, वहीं ग्रामों में स्थित जमीन को लेकर व्यापक सुधारों के साथ बैंक से लोन लेना भी आसान हो जायेगा। ई-ग्राम स्वराज से सभी ग्राम पंचायतों को डिजिटल करने के लिए एक सार्थक कदम उठाया गया है, जिससे ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता बढ़ेगी और रिकॉर्ड रखना आसान होगा। ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के जरिये पंचायतों के फंड, उसके कामकाज इत्यादि की पूर्ण जानकारी होगी। इससे विकास से जुड़ी परियोजनाओं के काम में भी तेज़ी आएगी।  इसके अंतर्गत ई-ग्राम स्वराज एप की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जो वास्तव में पंचायतों का लेखा-जोखा रखने वाला सिंगल डिजिटल  प्लेटफॉर्म होगा। प्रधानमंत्री स्वामित्व  योजना के तहत गाँव में ड्रोन से गाँव खेत और भूमि की मैपिंग की जाएगी, जिससे गाँव में भूमि को लेकर विवाद खत्म हो जायेंगे। इससे भूमि  के सत्यापन की प्रक्रिया में तेजी आएगी और भूमि से संबंधित भ्रष्टाचार को रोकने में सहायता मिलेगी।  यह देखने में आया है कि गाँव में जमीन की नाप-तौल को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती है और यह विवाद का कारण बन जाता है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से ग्रामीणों को कई फायदे होंगे, जिसके अनुसार सम्पति को लेकर भ्रम और झगडे समाप्त हो जायेंगे, गाँवों में विकास योजना में सहायता मिलेगी। शहरों की तरह गाँवों में लोग बैंकों से लोन ले सकेंगे और इन सब सुविधाओं के कारण ग्रामों के विकास कार्यो में तेजी और प्रगति होगी। जमीन की मैपिंग के बाद ग्रामीणों को उनकी सम्पति का  मालिकाना  प्रमाण-पत्र दिया जा सकेगा। ग्रामीणों के पास जब स्वामित्व होगा, तो उस सम्पति के आधार पर ग्रामीण बैंक से लोन ले सकते हैं। इस तरह शहरों के समान ग्रामीणों को भी अपनी जमीन का लाभ लेने में सहायता  मिलेगी और इससे जमीन बेचकर शहर जाने की जो समस्या विकराल रूप में सामने आई है, वह पलायन भी रुक सकेगा।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का व्यापक असर ग्रामीणों के मुआवजे की समस्या को भी हल करने में मददगार बना है। इसके पहले किसानों की बड़ी-बड़ी ज़मीनें और सम्पत्तियों को लेकर बेहद निराशाजनक स्थितियाँ थी और इसके अधिग्रहण के बाद उन्हें यथोचित मुआवजा मिलना असंभव होता था। लेकिन अब इस समस्या से ग्रामीण जनता को निजात मिल गई है और ग्रामीण आबादी की सभी संपत्तियाँ स्वामित्व योजना के कारण मुआवजे की हकदार बन गई हैं।

यही कारण है कि गाँव के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जिससे खेती की भूमि की जोत में वृद्धि होगी, पलायन रुकेगा और  निजी बैंक और सर्विस सेक्टर का ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से प्रसार होगा। इसके साथ ही अन्य उद्योग धंधों में तेजी से विकास होने की संभावनाएं भी बढ़ गई है।

बहरहाल प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से भारत के उस ग्रामीण समाज की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जिनकी आबादी देश की आबादी की करीब 68 फीसदी है। विकास से दूर ग्रामीण भारत में अब ग्रामीण स्वयं का उद्योग खोलने और उसे चलाने का आत्म-विश्वास अर्जित कर सकेंगे। अब किसान का बेटा संपत्ति को बेचकर शहर में व्यवसाय शुरू करने का विचार नहीं करेगा बल्कि उसके लिए अपने गाँव में ही फ्लोर मिल, दाल मिल या अन्य छोटे बड़े व्यवसाय बड़े स्तर पर शुरू करने के रास्ते खुल गए है। जाहिर है प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना ने ग्रामीण भारत की तकदीर बदलने के लिए बहु-आयामी विकल्प उपलब्ध  कराये हैं और यह देश में नई आर्थिक क्रांति का सूत्रपात है। अब गाँवों और शहर के बीच का अंतर मिटेगा, गाँव की प्रगति का स्वर्णिम दौर शुरू होगा और इस प्रकार गांवों को आर्थिक आज़ादी देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत के लिए स्वर्णिम युग के द्वार खोल  दिये है।

(लेखक, मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री है)
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