रेमडेसिवर इन्जेक्शन की कालाबाजारी करने वाले चार आरोपी गिरफ्तार

इंदौर समाचार। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंदौर श्री हरिनारायण चारी और उप पुलिस महानिरीक्षक श्री मनीष कपूरिया ने कोविड महामारी के दौरान लगातार रेमडिसिवर इन्जेक्सन की कालाबाजारी को रोकने हेतु पुलिस अधीक्षक श्री श्री आशुतोष बागरी, पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्री अरविन्द तिवारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राईम ब्रांच श्री गुरू प्रसाद पाराशर तथा सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिये हैं। इसी निर्देशों के परिपालन में थाना बाणगंगा एवं क्राइम ब्रांच की संयुक्‍त टीम ने रेमडेसिवर इन्जेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गिरोह के चार सदस्‍यों को पकड़ा है। साथ ही आरोपियों के कब्‍जे से पांच रेमडेसिविर इंजेक्‍शन, एक कार और नगदी भी पुलिस ने बरामद की है।

29 अप्रैल को क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग एक कार में थाना बाणगंगा क्षैत्र में लव कुश चैराहे के आसपास रेमडेसिविर इंजेक्शन को ऊँचे दामों पर बेचने के फिराक में हैं। सूचना पर टीम ने मुखबिर के बताए स्‍थान पर घेराबंदी कर संदीप ओझा पिता रामजीवन ओझा निवासी ए-1/101 ,करोल बाग सांवेर रोड इन्दौर स्थाई पता श्री आनंदपुर ट्रस्ट सुखपुर अस्पताल तहसील ईशागड जिला अशोकनगर (म.प्र.), चिरंजीव भारव्दाज पिता रूपसिंह निवासी सिल्वर सी-1 करोल बाग थाना बाणगंगा जिला इन्दौर, हरिराम केवट पिता गणेश राम केवट निवासी 501 हरसिंगार बिल्डिंग बाणगंगा जिला इन्दौर एवं सोनू बैरवा पिता कन्हैया बैरवा निवासी करोल बाग सी-1/613 थाना बाणगंगा जिला इन्दौर को पकड़ा। चारों व्‍यक्तियों की तलाशी लेने पर उनके पास से पांच नग रेमडेसिवीर इंजेक्शन वायल, चार नग मोबाईल हैंडसेट एवं नगदी रूपए कुल 60,650 रूपए बरामद हुए। जिसे पुलिस ने विधिवत जब्‍त कर लिया है। साथ ही उनके पास से चार पहिया वाहन भी पुलिस ने बरामद कर लिया है।

पूछताछ में आरोपियों ने रेमडीसीवर इंजेक्शन कोविड पॉजिटीव मरीजों के परिजनों से बुलवाकर उक्त इंजेक्शन कोविड पॉजिटिव मरीजों को न लगाकर चुरा लेते थे और उसे ऊंची कीमत पर अन्य कोविड पॉजिटिव मरीज व ग्राहकों को बेच देते थे। आरोपियों ने तीस से अधिक रेमडीसीवर इंजेक्शन की ब्लेक मार्केटिंग कर 25000 से 40000 रूपए प्रति इंजेक्शन की दर से विक्रय करना स्वीकार किया है। चारों आरोपीगणों के विरूध्द थाना बाणगंगा जिला इन्दौर पर अपराध क्रमांक 570/21 धारा 420,188 भादवि व महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 व म.प्र. राज्य आयुर्विज्ञान परिषद एक्ट 1956-57 की धारा 24 का पंजीबध्द कर विवेचना मे लिया गया है।

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